Marriage by Arya Samaj Annapurna Indore (Call : 9302101186) is completely valid and legal under Arya Samaj Validation Act-1937, Section-19 & Hindu marriage act-1955. Akhil Bharat Arya Samaj Trust is registered under Indian Public Trust Act and it is a social, religious, and charitable Akhil Bhartiya Trust. Arya Samaj Indore follows Vedic rituals during marriage ceremony. Panditji available in the center will guide you through the complete process when you come to register for your marriage. Arya Samaj Panditji / Acharyaji at Annapurna, Indore will assist you throughout process. You can also book your marriage by calling on our helpline number +91-9302101186. Arya Samaj Mandir follows Vedic Vidhi Vidhan during marriage rituals.
परिवारजनों की अनुपस्थिति में भी अब विवाह हो सकेंगे
ग्वालियर । आर्य समाज में होने वाले विवाहों पर लगाई गई शर्तें ग्वालियर स्थित मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की युगल पीठ द्वारा हटा दी गई हैं। अब माता-पिता अथवा परिवारजनों की उपस्थिति के बिना भी आर्य समाज में विवाह हो सकेंगे। बुधवार दिनांक 30 अक्टूबर 2013 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर स्थित युगल पीठ ने आर्य समाज की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि विधियॉं बनाने का काम न्यायालय का नहीं है।
लेखक- आचार्य डॉ.संजय देव
आर्यसमाज की स्थापना सन् 1875 ई. में महर्षि दयानन्द सरस्वती ने की थी। आर्यसमाज ने आरम्भ से आज तक 138 वर्षो के दीर्घकाल में मानव सेवा, गौ आदि प्राणीमात्र की सेवा, वेद धर्म प्रचार, शिक्षा, वर्णाश्रम धर्म का उद्धार, भारतीय स्वाधीनता संग्राम, सामाजिक-धार्मिक सुधार
लेखक- आचार्य डॉ.संजय देव
महर्षि स्वामी दयानन्द ने बचाव तो किया ही, साथ ही मुसलमानों और ईसाइयों के मत पन्थों पर प्रहार भी किया। यह हिन्दुत्व का शुद्ध रूप था और महर्षि दयानन्द की वाणी में, लेखों में, पुस्तकों में, शास्त्रार्थ और व्याख्यानों में सुधार की भावना तो थी ही, उन्होंने जागृत हिन्दुत्व का समरनाद घोषित कर दिया।
लेखक - स्वामी सत्यप्रकाश सरस्वती
सर्वश्रेष्ठ अध्येताओं के अनुसार हिमालय के आस-पास ही मनुष्य का अवतरण हुआ है। वहीं से उसकी संस्कृति का और मानव जाति की यात्रा का प्रारम्भ होता है। वेद के दिव्य वाक्य मानव जाति के जीवन के आधार बने। कुछ काल प्रेम और आनन्द से रहने के बाद यहीं से मनुष्य समस्त संसार में बिखर गये।
राजा राममोहन राय-
भारत के इतिहास एवं संस्कृति का परिचय देनेवाली पुस्तकें राजा राममोहन राय को आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में प्रस्तुत करती हैं । इसमें सन्देह नहीं कि उस युग में राजा राममोहन राय पहले व्यक्ति थे जिन्होंने उस समय प्रचलित कुरीतियों तथा अन्धविश्वासों पर प्रहार करके समाज-सुधार का मार्ग प्रशस्त किया। उन्हीं के प्रयत्न के फलस्वरूप सन् 1828 में सतीप्रथा के विरुद्ध कानून बना।
जनप्रतिनिधियों की असीमित सुविधाएं जहाँ गरीब देश की अधिकांश जनता को पौष्टिक भोजन नहीं मिलता, वहाँ जनप्रतिनिधियों के लिए इतने शानशौकत के महल और उसके साथ-साथ अनेक लग्जिरियस तामजाम अलग। इनकी यह व्यवस्था शहनशाहों व राजाओं से भी अधिक भड़कीली होती है। सुविधा इनकी, परन्तु नाम देश की प्रतिष्ठा का लिया जाता है। जिस प्रतिष्ठा का ये बहाना जिनके लिए दे...