कुछ लोगों का कहना है कि हम मूर्त्तियों को ईश्वर नहीं मानते, हम उन्हें केवल मानसिक विकास का साधन मानते हैं। इस पर राजा राममोहन राय का कहना था-
“Hindus of the present age have not the least idea that it is the attributes of the Supreme Being as figuratively represented by Shapes corresponding to the nature of those attributes, they offer adoration and worship under the denomination of gods and godesses.
जीवन जीने की सही कला जानने एवं वैचारिक क्रान्ति और आध्यात्मिक उत्थान के लिए
वेद मर्मज्ञ आचार्य डॉ. संजय देव के ओजस्वी प्रवचन सुनकर लाभान्वित हों।
गायत्री मन्त्र में महाव्याहृतियों का दिव्य रहस्य
Ved Katha Pravachan _40 (Explanation of Vedas) वेद कथा - प्रवचन एवं व्याख्यान Ved Gyan Katha Divya Pravachan & Vedas explained (Introduction to the Vedas, Explanation of Vedas & Vaidik Mantras in Hindi) by Acharya Dr. Sanjay Dev
On the contrary, the slightest investigation will clearly satisfy any inquirer, that it makes a material part of their system to hold as articles of faith all those particular circumstances, which are essential to the belief in the independent existence of the objects of their idolatory of deities clothed with divine power.” -English works of Rammohan Rai. Page 71
आशय यह है कि वर्त्तमान युग के हिन्दुओं को यह ज्ञान नहीं कि जिन देवी-देवताओं की वे पूजा करते हैं वे परब्रह्म के ही प्रतिनिधिरूप हैं। थोडी-सी जॉंच से पता चल जाएगा कि वे लोग उनकी संज्ञा स्वीकार करते हैं और ईश्वर मानकर ही उनकी पूजा करते हैं।
जब ईसाइयों ने तन्त्रों और पुराणों के आधार पर ईश्वर के अवतार लेने की आलोचना की तो राजा राममोहन राय ने लिखा-
“तुम लोग हिन्दुओं के अवतारों पर आक्षेप करते हो, परन्तु क्या तुम ईसा को जो मनुष्य के रूप में है और पवित्र आत्मा को जो पक्षी के रूप में है, ईश्वर नहीं मानते हो? क्या तुम नहीं मानते कि ईसामसीह खुदा ही था? क्या उसमें मानवीयभाव नहीं था? क्या वह क्रोध नहीं करता था? क्या उसे दु:खों का अनुभव नहीं होता था? क्या वह बहुत समय तक सम्बन्धियों के साथ नहीं रहा? क्या पक्षीरूपी उस पवित्र आत्मा ने स्त्री के प्रसंग से ईसा को पैदा नहीं किया था? क्या उसकी मृत्यु नहीं हुई थी? यदि ईसाई लोग इन बातों का मानते हैं तो वे पुराणों की बातों पर कैसे आक्षेप कर सकते हैं? पुराणों में जो बात वेदविरुद्ध है, उसे हिन्दू नहीं मानते, परन्तु ईसाइयों का तो बाइबल ही वेद है। इसलिए सबसे अधिक ईसाई ही दोषी ठहरते हैं।”
इसके उपरान्त राजा राममोहन राय ने ईसाइयों से निम्नलिखित प्रश्न किये -
1. तुम ईसा को ईश्वर भी मानते हो और ईश्वर का बेटा भी। बेटा बाप कैसे हो सकता है?
2. वे कभी-कभी कहते हैं कि ईसा मनुष्य का बेटा था। फिर भी कहते हैं कि कोई मनुष्य उसका बाप नहीं था।
3. वे कहते हैं कि ईश्वर एक है । फिर भी कहते हैं कि बाप ईश्वर है, बेटा ईश्वर है और पवित्र आत्मा ईश्वर है।
4. वे कहते हैं कि ईश्वर की पूजा करनी चाहिए, फिर भी वे शरीरधारी ईसा की पूजा करते हैं।
यह सब राममोहन राय ने उस लेख के उत्तर में लिखा था जो श्रीरामपुर स्थित मिशन प्रेस से प्रकाशित होने वाले ‘समाचार दर्पण’ के 14 जुलाई 1821 के अंक में छपा था। इस लेख में किसी ईसाई द्वारा हिन्दू धर्म और शास्त्रों पर आक्षेप किये गये थे।
मौर्यकाल के बाद पुष्यमित्र के समय में जिस धर्म का पोषण किया गया उसे ब्राह्मण धर्म के नाम से अभिहित किया गया। ऋषि दयानन्द ने उसे पौराणिक धर्म कहा। यहॉं धर्म शब्द का प्रयोग वर्त्तमान में रूढ अर्थो में किया जा रहा है। यह धर्म अपनी परम्परा के अनुरूप सदा राज्य का आश्रय लेता रहा। मध्यकाल में इस वर्ग ने इस्लाम की सहायता से अपना प्रभुत्व बनाये रक्खा। इसी के कारण सिन्धी भाषा अरबी अक्षरों में लिखी जाने लगी। यह वर्ग “स्वार्थसिद्धये राज्याय नमो नम:” अथवा “यथा राजा तथा प्रजा” में विश्वास रखता था। अंग्रेजों के युग में इस वर्ग ने नौकरियॉं पाने के लिए अंग्रेजी को अपनाया। भाषा के साथ उसके साहित्य का और साहित्य के साथ उसकी सभ्यता और संस्कृति का तो गहरा सम्बन्ध है ही, कालान्तर में उसकी अस्मिता भी उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहती।
राजा राममोहन राय प्रतिभाशाली पुरुष थे। उनके चिन्तन में मौलिकता थी। उन्होंने अनुभव किया कि यदि हिन्दू धर्म को जीवित रहना है तो उसके वर्तमान रूप को सुधारना होगा। न हिन्दू धर्म को ज्यों-का-त्यों चिपटाये रहने से काम चलेगा और न उसका त्याग करके ईसाइयत को अपनाने से कल्याण होगा। इसलिए उन्होंने मध्यम मार्ग अपनाने का प्रयास किया, परन्तु इस प्रयास में वे धीरे-धीरे अपना सन्तुलन खोने लगे। अपने Autobiographical Sketch में उन्होंने लिखा -
“Finding thme generally more intelligent, more steady and moderate in their condust, I gave up my prejudice against them and became inclined in their favour, feeling persuaded that their rule, though a foreign yoke, would lead more speadily and surely to the amelioration of the native inhabitants.”
अर्थात् जब मुझे यह ज्ञात हुआ कि ये (अंग्रेज) अधिक बुद्धिमान्, अधिक धैर्यवान् और व्यवहार में अधिक सन्तुलित होते हैं तो उनके प्रति मेरा पूर्वाग्रह जाता रहा और मैं उनके अनुकूल होता गया। मुझे विश्वास हो गया कि उनका राज्य विदेशी होते हुए भी भारतवासियों की उन्नति के लिए निश्चित रूप से अधिक हितकर है।
ये शब्द राजा राममोहन राय की हीन-भावना के द्योतक तथा अत्याचारी विदेशी शासकों की ठकुरसुहाती के साक्षी हैं। इससे स्पष्ट है कि राजा राममोहन राय की धार्मिक अवधारणा (ब्राह्मसमाज) विशुद्ध भारतीय न होकर ईसाइयत से प्रभावित थी। इस विषय में रोम्यॉं रोलॉं (Romain Rolland) के अनुसार “राजा राममोहन राय ने जहॉं से आरम्भ किया था वह मार्टिन लूथर द्वारा प्रवर्त्तित प्रोटेस्टेण्ट एकेश्वरवाद था। उसके पूर्णरूप से ईसाइयत में विलीन होने के कारण भारतीय जनसाधारण का उसमें विश्वास नहीं रहा था। (रोम्यॉं रोलॉं-राम कृष्ण परमहंस, पृ.155) । यही कारण था कि राजा राममोहन राय ने मैकाले की उस अंग्रेजी शिक्षा-व्यवस्था का समर्थन किया जो मैकाले के अनुसार भारतीयों की प्रवृत्ति, सम्मति, नैतिकता एवं प्रज्ञा में अंग्रेज-ईसाई बनाने का सुनियोजित षड्यन्त्र था।” -पी0 वी0 काणे, धर्मशास्त्र का इतिहास, भाग 5, पृ0 416. लेखक- स्वामी विद्यानन्द सरस्वती
Contact for more info.-
राष्ट्रीय प्रशासनिक मुख्यालय
अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट
आर्य समाज मन्दिर अन्नपूर्णा इन्दौर
नरेन्द्र तिवारी मार्ग, बैंक ऑफ़ इण्डिया के पास, दशहरा मैदान के सामने
अन्नपूर्णा, इंदौर (मध्य प्रदेश) 452009
दूरभाष : 0731-2489383, 8989738486, 9302101186
www.aryasamajindore.com
--------------------------------------
National Administrative Office
Akhil Bharat Arya Samaj Trust
Arya Samaj Mandir Annapurna Indore
Narendra Tiwari Marg, Near Bank of India
Opp. Dussehra Maidan, Annapurna
Indore (M.P.) 452009
Tel. : 0731-2489383, 8989738486, 9302101186
www.aryasamajindore.com
All this was written by Rammohan Roy in response to the article which appeared in the July 14, 1821 issue of 'Samachar Darpan', to be published from the Mission Press at Srirampur. In this article Hindu religion and scriptures were attacked by a Christian.
Bharat Bhagya Vidhata Maharshi Dayanand Saraswati – 1.2 | Arya Samaj Indore | Arya Samaj Mandir Indore | Arya Samaj Marriage Indore | Arya Samaj Mandir Marriage Indore | Arya Samaj Annapurna Indore | Arya Samaj Mandir Helpline Indore for Latur - Ganganagar - Hanumangarh - Dewas - Dhar - Kolhapur | Official Web Portal of Arya Samaj Bank Colony Indore Madhya Pradesh | Arya Samaj Indore MP Address | Arya Samaj Mandir Bank Colony Indore | Maharshi Dayanand Saraswati | Arya Samaj in India | Arya Samaj Marriage Service | Explanation of Vedas.
Arya Samaj | Arya Samaj Mandir | Contact for more info | Arya Samaj in India | Arya Samaj Marriage Indore | Arya Samaj in India | Arya Samaj in Madhya Pradesh | Vedas | Maharshi Dayanand Saraswati | भारत-भाग्य विधाता महर्षि दयानन्द सरस्वती -1.3 | Havan for Vastu Dosh Nivaran | Vastu in Vedas | Vedic Vastu Shanti Yagya | Vaastu Correction Without Demolition | Arya Samaj helpline Indore Madhya Pradesh | Arya Samaj Online | Arya Samaj helpline | Hindi Vishwa | Intercast Marriage | Hindu Matrimony | Arya Samaj and Vedas | Vedas | Maharshi Dayanand Saraswati | Arya Samaj in India | Arya Samaj and Hindi | Vaastu Correction Without Demolition | Arya Samaj Mandir Marriage Indore Madhya Pradesh | Arya Samaj helpline Indore Madhya Pradesh Bharat | Arya Samaj Mandir in Madhya Pradesh | Arya Samaj Online | Arya Samaj Marriage Guidelines | Procedure Of Arya Samaj Marriage | Arya Samaj Marriage helpline Indore | Hindi Vishwa | Intercast Marriage in Arya Samaj Mandir Indore.
Indore Aarya Samaj Mandir | Indore Arya Samaj Mandir address | Hindu Matrimony in Indore | Arya Samaj Intercast Marriage | Intercast Matrimony in Indore | Arya Samaj Wedding in Indore | Hindu Marriage in Indore | Arya Samaj Temple in Indore | Marriage in Indore | Arya Samaj Marriage Rules in Indore | Hindu Matrimony in Indore | Arya Samaj Marriage Ruels in Hindi | Ved Puran Gyan | Arya Samaj Details in Hindi | Ved Gyan DVD | Vedic Magazine in Hindi | Aryasamaj Indore MP | address and no. of Aarya Samaj Mandir in Indore | Aarya Samaj Satsang | Arya Samaj | Arya Samaj Mandir | Documents required for Arya Samaj marriage in Indore | Legal Arya Samaj Mandir Marriage procedure in Indore | Aryasamaj Helpline Indore Madhya Pradesh India | Arya Samaj Bank Colony Indore Madhya Pradesh India | वेद | आर्य समाज मंदिर इंदौर मध्य प्रदेश | वैदिक संस्कृति एवं वर्तमान सन्दर्भ | धर्म | दर्शन | संस्कृति | ज्ञान का अथाह भण्डार वेद
जनप्रतिनिधियों की असीमित सुविधाएं जहाँ गरीब देश की अधिकांश जनता को पौष्टिक भोजन नहीं मिलता, वहाँ जनप्रतिनिधियों के लिए इतने शानशौकत के महल और उसके साथ-साथ अनेक लग्जिरियस तामजाम अलग। इनकी यह व्यवस्था शहनशाहों व राजाओं से भी अधिक भड़कीली होती है। सुविधा इनकी, परन्तु नाम देश की प्रतिष्ठा का लिया जाता है। जिस प्रतिष्ठा का ये बहाना जिनके लिए दे...