धर्म का मूल वेद
तथ्यों को ठीक प्रकार से समझने के लिये सब विद्याओं के मूल वेद का ही सहारा लेना पड़ेगा। ईश्वर तथा धर्म के वास्तविक स्वरूप का वेदाध्ययन से ही पता चलेगा। वेद में यह स्पष्ट आता है कि ईश्वर जीव प्रकृति ये तीन अनादि सत्ताएं हैं। पक्षियों और वृक्ष के उदाहरण से इसे समझाया गया है। एक पेड़ पर दो पक्षी बैठे हुए हैं। एक पक्षी वृक्ष के स्वादु फलों को खा रहा है, दूसरा केवल देख रहा है। जीवात्मा व परमात्मा दो पक्षी हैं और प्रकृति वृक्ष है। जीव प्रकृति का उपभोग करता है और ईश्वर द्रष्टा है, देखने वाला साक्षी।
It is clear in the Vedas that God, soul and nature are three eternal entities. Two birds are sitting on a tree. One bird is eating the sweet fruits of the tree, the other is just watching. Soul and God are the two birds and nature is the tree. The soul enjoys nature and God is the observer, the witness.
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जनप्रतिनिधियों की असीमित सुविधाएं जहाँ गरीब देश की अधिकांश जनता को पौष्टिक भोजन नहीं मिलता, वहाँ जनप्रतिनिधियों के लिए इतने शानशौकत के महल और उसके साथ-साथ अनेक लग्जिरियस तामजाम अलग। इनकी यह व्यवस्था शहनशाहों व राजाओं से भी अधिक भड़कीली होती है। सुविधा इनकी, परन्तु नाम देश की प्रतिष्ठा का लिया जाता है। जिस प्रतिष्ठा का ये बहाना जिनके लिए दे...