प्याज का मूल स्थान मध्य एशिया है। पर दुनिया भर के देशों में प्याज की खेती की जाती है। प्याज लाल, भूरे या सफेद रंग के और गोलाकार होते हैं। इनका कन्द गन्धयुक्त व गूदेदार होता है। कुछ जातियॉं तीव्र गन्ध की और कुछ जातियॉं मन्द-गन्ध की होती हैं। ज्यादा गन्ध वाली जातियॉं औषधीय उपयोग के लिए और कम गन्ध वाली जातियॉं आहार में उपयोग के लिए श्रेष्ठ मानी जाती हैं। प्याज के पत्तों में विटामिन ए, बी और सी काफी मात्रा में होते हैं। प्याज वातशामक, पित्तकारक और किंचित कफकारक होती है। प्याज के अनेक औषधीय उपयोग हैं -
Ved Katha Pravachan -13 (Explanation of Vedas) वेद कथा - प्रवचन एवं व्याख्यान Ved Gyan Katha Divya Pravachan & Vedas explained (Introduction to the Vedas, Explanation of Vedas & Vaidik Mantras in Hindi) by Acharya Dr. Sanjay Dev
1. दाह, त्वचा रोग, एलर्जी से आने वाला एक्जीमा और खुजली की शिकायत में प्याज का रस त्वचा पर घिसकर लगाया जाता है।
2. प्याज अग्नि में भूनकर बवासीर और सूजन पर लगाने से लाभ होता है।
3. अधिक उष्णता के कारण सिरदर्द होने पर या नाक से खून आने पर प्याज काटकर सिर पर रखने से फायदा होता है।
4. तीव्र ज्वर में हथेलियों और पांवों के तलवों पर प्याज का रस लगाया जाता है। प्याज के रस में भिगोया वस्त्र माथे पर रखने से ज्वर कम होता है और ज्वर के कारण दिमाग पर होने वाले दुष्परिणामों से बचाव होता है।
5. प्याज काटकर सूँघने से चक्कर कम होकर व्यक्ति मूर्छा से बाहर आता है।
6. प्याज के रस में पिसी हुई राई मिलाकर मालिश करने से दर्द, संधिवात, मरोड़ में लाभ होता है।
7. प्याज में नीम्बू का रस निचोड़कर सेवन करने से अजीर्ण, मंदाग्नि ठीक होते हैं।
8. शरीर के किसी अंग पर मवाद होने पर उस जगह पिसा हुआ प्याज, तेल में भूनकर पुल्टिस के रूप में लगाने से मवाद शीघ्र बाहर निकलता है और वेदना से राहत मिलती है।
कृपया ध्यान रखें - पाचन में भारी और पित्तकारक होने से प्याज का उपयोग सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। प्याज अधिक मात्रा में सेवन करने से वामक और विरेचक होता है। अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से बेचैनी, पेशाब में खून, पेशाब करते वक्त दर्द, आँतों में दाह आदि तकलीफ उत्पन्न हो सकती है। - डॉ. बालाजी ताम्बे
प्याज के गुण एवं उपयोग
प्याज दैनिक जीवन में काम आने वाली वस्तु है। यह केवल एक शाक-सब्जी ही नहीं, अपितु एक बहुत गुणकारी औषधि भी है। प्याज के अन्दर प्रोटीन, वसा, खनिज, लवण, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा, विटामिन्स, कैलोरीज सभी कुछ हैं। प्राचीनतम आयुर्वेदीय ग्रन्थकारों के अनुसार प्याज के अभ्यासपूर्ण सेवन से रूखे-सूखे अंग स्निग्ध हो जाते हैं। रंग और कांति में चार चॉंद लग जाते हैं। पाचन शक्ति प्रदीप्त हो जाती है। त्वचा के समस्त विकार नष्ट हो जाते हैं। कुल मिलाकर प्याज बल, वीर्य, आयु और जीवनवर्धक है। यह रक्त का शोधन करती है। ब्लडप्रेशर के लिये तो यह अद्भुत वरदान है।
औषधीय प्रयोग-
* प्याज के रस में घी मिलाकर पीने से अत्यन्त ताकत प्राप्त होती है।
* प्याज का सेवन करने वाले को "लू' नहीं लगती है।
* शारीरिक कमजोरी या दुर्बल शरीर वालों को प्रतिदिन प्रातःकाल कच्ची प्याज का शहद के साथ सेवन करना चाहिए। कुछ ही दिनों में शरीर स्वस्थ, सुन्दर, स्फूर्तिवान हो जाएगा।
* प्याज पीसकर बालों पर लेप करने से बाल काले रंग के उगने शुरू हो जाते हैं। प्याज का रस शहद में मिलाकर गंजे स्थान पर लगाते रहने से बाल काले होते हैं तथा पुनः उग जाते हैं।
* प्याज का रस, शुद्ध शहद 250-250 ग्राम तथा खाने का सोडा 50 ग्राम तीनों को मिलाकर रख लें। यह "दमा' की खास दवाई है। दमा के रोगी इसे सुबह-शाम 1-1 चम्मच प्रयोग करें।
* प्याज और पोदीना का रस 20-20 ग्राम प्रत्येक आधा घण्टे के अन्तराल पर पिलाने से हैजा ठीक हो जाता है।
* कच्चा लाल प्याज या गरम राख में पकाए हुए प्याज का 4 चम्मच रस पीने से अनिद्रा दूर होकर गहरी नींद आती है।
* सफेद प्याज का रस "मिरगी' से पीड़ित रोगी की नाक में डालने से व आँख में लगाने से मिरगी के रोगी को आराम मिलता है ।
* पीलिया रोग से पीड़ित व्यक्ति को प्याज का रस व शहद सममात्रा में मिलाकर 2-3 चम्मच प्रातःकाल सेवन करना अत्यन्त लाभकारी है।
* प्याज के रस की 2-4 बून्दें शहद के साथ मिलाकर बच्चों को चटाने से पेट दर्द दूर हो जाता है।
* बच्चों के पेट में कीड़े होने पर एक चम्मच प्याज के रस में आधा चम्मच पानी मिलाकर पिलाना अत्यधिक लाभप्रद है।
* सफेद प्याज और अदरक का रस तथा शहद 5-5 ग्राम खूब भली प्रकार मिलाकर नित्य प्रातःकाल 40 दिन तक सेवन करने से धातु पुष्टि एवं बल की वृद्धि होती है।
* मसूढ़ों की सूजन में कच्ची प्याज को नमक के साथ खाना लाभप्रद है।
* प्याज का रस शहद में मिलाकर प्रातःकाल (नित्यकर्मों से निवृत्त होकर) चाटते रहने से मात्र एक सप्ताह में ही रक्त बढ़ने के लक्षण दृष्टिगोचर होने लगते हैं।
* प्याज के रस को थोड़े से पानी में मिलाकर बच्चों को पिलाते रहने से उनके बोलने की शक्ति में वृद्धि हो जाती है।
* प्याज में सिरका मिलाकर खाने से बढ़ी हुई तिल्ली में लाभ होता है।
* खूनी बवासीर में 100 ग्राम प्याज का रस और 50 ग्राम शक्कर मिलाकर पानी से लाभ होता है।
* भोजन के साथ कच्चा प्याज खाते रहने से स्त्री व पुरुष का सौन्दर्य बना रहता है।
* प्याज महिलाओं के मासिक धर्म और पुरुषों के वीर्य दोषों को दूर कर देता है।
* इससे दॉंत पैने एवं उजले बनते हैं।
* यह मल-मूत्र के रास्ते शरीर के समस्त विकारों को निकाल बाहर फैंकता है।
* यह अन्दरूनी घावों को भर देता है तथा सूजन को ठीक करता है।
* यह खून को साफ करता है तथा कफ बाहर निकालता है। - संजीव कश्यप
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जनप्रतिनिधियों की असीमित सुविधाएं जहाँ गरीब देश की अधिकांश जनता को पौष्टिक भोजन नहीं मिलता, वहाँ जनप्रतिनिधियों के लिए इतने शानशौकत के महल और उसके साथ-साथ अनेक लग्जिरियस तामजाम अलग। इनकी यह व्यवस्था शहनशाहों व राजाओं से भी अधिक भड़कीली होती है। सुविधा इनकी, परन्तु नाम देश की प्रतिष्ठा का लिया जाता है। जिस प्रतिष्ठा का ये बहाना जिनके लिए दे...