संसार में कुछ महापुरुष ऐसे होते हैं जो साधना के पथ पर चलकर अपने जीवन को सार्थक करते हैं। कुछ महापुरुष ऐसे होते हैं जो पीड़ितों की सेवा करने में अपने जीवन को धन्य मानते हैं। कुछ महापुरुषों में नेतृत्व के गुण बचपन होते हैं, कुछ महापुरुष राष्ट्र की बलिवेदी पर अपने आपको आहूत कर जाते हैं, परन्तु कुछ ही महापुरुष ऐसे होते हैं, जो साधना के पथ पर चलते हुए, पीड़ितों की सेवा करते हुए, बचपन से ही नेतृत्व के गुणों से ओतप्रोत होते हुए, राष्ट्र की बलिवेदी पर अपने आपको आहूत करने में गौरवान्वित अनुभव करते हैं, उनमें से एक महापुरुष का नाम था श्री सुभाषचन्द्र बोस। संभवतः 'नेताजी' केवल और केवल इस महापुरुष के नाम के साथ ही जुड़ा है, अन्य किसी के साथ नहीं।
Motivational Speech on Vedas by Dr. Sanjay Dev
Greatness of India & Vedas | गौरवशाली महान भारत - 3
जन्मस्थान एवं माता-पिता - उड़ीसा का कटक शहर और उसका ग्राम कोडेलिया वह सौभाग्यशाली ग्राम है जिस ग्राम में एक ऐसे रत्न का जन्म हुआ जिसे लोग प्यार से सुभाष-दा कहते हैं। वह माँ श्रीमती प्रभावती एवं पिता श्री जानकीनाथ बोस सौभाग्यशाली हैं, जिनके घर में २३ जनवरी १८९७ जन्म लिया।
अंग्रेजी स्वार्थी एवं विश्वास-घाती हैं - एक सात-आठ वर्ष का बच्चा गम्भीर मुख की आकृति बनाकर बैठा है। बच्चे इस आयु में चंचल होते हैं, परन्तु यह बच्चा अपने मुख की गम्भीर आकृति बनाकर बैठा है। उसकी बालसखी कमला उस बच्चे को दूसरे खेलने वाले बच्चों के साथ खेलने के लिए कहती है परन्तु वह बच्चा उन बच्चों के साथ खेलने मना करता है। परन्तु बाल सखी के बार-बार आग्रह कर पर वह बच्चा कहता है- ''मुझे इन अहंकारी बच्चों के साथ खेलना अच्छा नहीं लगता। यह अंग्रेजों के बच्चे आतातायियों की संतानें हैं।'' वह अंग्रेज बच्चे इस बच्चे से उनके साथ न खेलने का करण पूछते हैं तो वह उत्तर देता है- ''अंग्रेज स्वार्थी और विश्वासघाती हैं। मैं तुम जैसे स्वार्थी और विश्वासघाती पिताओं के पुत्रों के साथ खेलना अच्छा नहीं समझता। वह बच्चा कहता है कि इन अंग्रेजों के साथ खेलने की बात तो छोड़ों मैं इनके साथ बात करना भी पसंद नहीं करता।'' तब बाल सखी कहती है कि मैं अंग्रेजों के साथ खेलना पसंद नहीं करती क्योंकि यह हम भारतियों को हिन दृष्टि से देखते हैं। तब वह बच्चा उस बालसखी कमला से कहता है- ''मैं तुम्हें अपनी फौज में भर्ती करूँगा।'' बाल सखी ने पूछा - ''तुम फौज किसलिए बनाओगे?'' उस बच्चे ने उत्तर दिया-''अंग्रेजों को इस देश से खदेड़ने के लिए, फौज आवश्यक है, मैं इसलिए अपनी एक फौज बनाऊँगा।'' इतने देर में उस बच्चे की माँ वहाँ आ गई। वह बाल सखी कमला उस बच्चे की माँ से बोली- ''मौसी जी ! देखो, यह आपका पुत्र फौज बनाने की बात कर रहा है। बड़ी-बड़ी बातें करने लगा है।'' माता श्रीमती प्रभावती ने पूछा -''सुभाष ! यह बड़ी-बड़ी बातें तुम्हें कौन सिखा रहा है?'' उस बच्चे ने कहा माँ ! यह सब आपका आशीर्वाद है। माँ उसकी बात सुनकर मुस्कुरा देती है।'' यह बच्चा और कोई नहीं, स्वतंत्रता सेनानी सुभाषचन्द्र बोस ही था जिसने बचपन से ही अन्यायी, अंग्रेजों को भारत की धरती से खदेड़ने के लिए फौज बनाने की तैयारी कर रहा है। तभी तो कहा है- ''होनहार बिरवान के होत चिकने पात।'' महापुरुषों के गुण पालने में ही दिखने लग जाते हैं। इन दोनों वाक्यों को इस राष्ट्र के महान सपूत सुभाष जी ने सिद्ध कर दिखाया।
अंग्रेज चाहे शिक्षक ही क्यों न हो, थप्पड़ मार दिया - अंग्रेजी प्रोफेसर ओटंग कक्षा में पढ़ रहे थे। उन्होंने किसी भारतीय छात्र से एक प्रश्न उत्तर पूछा। छात्र तुरन्त उत्तर न दे सका। तब अंग्रेज प्रोफेसर ने उस भारतीय छात्र से कहा- ''यू ब्लैक डाग, क्या खाक पढता है? (तुम काले कुत्ते, क्या खाक पढ़ते हो?)।'' वह भारतीय विद्यार्थी सहम गया। सुभाष विद्युत गति से एकदम बोला - कन्ट्रोल यूअर टन्ग, सर। (श्रीमान जी, कृपया अपनी वाणी पर नियंत्रण रखिये)। प्रोफेसर चीखा- यू सिट डाउन (तुम बैठ जाओ)। सुभाष ने तेज स्वर में कहा - अपने इस भारतीय छात्र को ब्लैक डाग (काला कुत्ता) क्यों कहा? प्रोफेसर आगबबूला हो उठा और बोला - 'टुम बीच में क्यों बोलता है? डैम ब्लाडी। ..... ?' बस अंग्रेज प्रोफेसर ओटंग का इतना ही कहना था कि सुभाष ने आव देखा न ताव। सुभाष तड़प उठे और भारतियों का इतना अपमान उसे सहन नहीं हुआ और झपटकर प्रोफेसर के गाल पर भरपूर थप्पड़ जड़ दिया। कक्षा में गहरा सन्नाटा छ गया। वह प्रोफेसर तो गाल सहलाता रहा। अंग्रेज को पीटा भी तथा विद्यालय में हड़ताल करा दी। इस प्रसिद्ध यूरेपियन स्कूल घटित होने वाली यह प्रथम दुस्साहसिक घटना थी जिसने समस्त गोरी चमड़ी वालों में भय का वातावरण बना दिया। विद्यालय के अधिकारीयों ने सुभाष को विद्यालय से निकल दिया। पिता श्री जानकीनाथ बोस को जब घटनाक्रम का पता चला तब उन्होनें सुभाष से कहा- यह तुमने क्या किया है? तुमने अपने भविष्य का नाश कर दिया है। सुभाष ने उत्तर दिया- पिताजी, ओटंग ने सभी भारतीयों का अपमान किया है। हम भारतीयों को मुर्ख, नालायक, काला कुत्ता और बदमाश कहा है। भारतीयों का अपमान सहन नहीं कर सकता। जहाँ तक मेरे भविष्य की बात है मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं आपके नाम को उज्ज्वल करूँगा। पिता की इच्छानुसार आई.सी.एस. की परीक्षा उत्तीर्ण करके भी सरकारी नौकरी स्वीकार न करके देश के लिए अपने जीवन को आहूत कर दिया। - कन्हैयालाल आर्य
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Birthplace and parents - Cutelia city of Orissa and its village Kodelia is the fortunate village in which a gem was born which people affectionately call Subhash-da. He is the mother Mrs. Prabhavati and father Mr. Jankinath Bosh, who was born in his house on January 23, 1897.
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जनप्रतिनिधियों की असीमित सुविधाएं जहाँ गरीब देश की अधिकांश जनता को पौष्टिक भोजन नहीं मिलता, वहाँ जनप्रतिनिधियों के लिए इतने शानशौकत के महल और उसके साथ-साथ अनेक लग्जिरियस तामजाम अलग। इनकी यह व्यवस्था शहनशाहों व राजाओं से भी अधिक भड़कीली होती है। सुविधा इनकी, परन्तु नाम देश की प्रतिष्ठा का लिया जाता है। जिस प्रतिष्ठा का ये बहाना जिनके लिए दे...