सामान्य लोगों में यह भ्रान्त धारणा व्याप्त है कि अंग्रेजों से भारत को स्वाधीनता दिलाने वाली कांग्रेस पार्टी ही है। कांग्रेस की स्थापना सन् 1885 ई. में मि. एलन आक्टेवियन ह्यूम ने की थी। कांग्रेस में शामिल लोग प्रतिवर्ष इकट्ठे होकर अंग्रेजी शासन को वरदान मानकर इसको टिकाये रखने हेतु इसकी प्रशस्ति के प्रस्ताव पारित करते हुए केवल सरकारी नौकरी की मांग करते थे। प्रारम्भ में यह सामान्य भारतीयों की पार्टी भी नहीं थी। अंग्रेजी वेशभूषा में केवल अंग्रेजी बोलते हुए अंग्रेजों की शैली में सरकार को प्रतिनिधि मंडल भेजना इसका प्रमुख कार्य था। बंग भंग आन्दोलन के पश्चात् 1906 ई. में लोकमान्य तिलक ने कांग्रेस के मंच से "स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है" का प्रसिद्ध नारा दिया। 1929 ई. में कांग्रेस ने 1 वर्ष में औपनिवेशिक शासन देने की मांग की और नहीं मिलने पर अन्तत: 1930 ई. में पूर्ण स्वाधीनता की मांग की गई। इसके विपरीत कांग्रेस के भी जन्म से 10 वर्ष पूर्व स्वामी दयानन्द द्वारा स्थापित आर्यसमाज ने धार्मिक समुदाय होते हुए भी क्रियात्मक रूप से भारत में स्वाधीनता आन्दोलन की नींव डाली। इसीलिए बिहार के भूतपूर्व राज्यपाल और भूतपूर्व लोकसभाध्यक्ष ने कहा था कि यदि महात्मा गांधी राष्ट्रपिता हैं तो स्वामी दयानन्द राष्ट्रपितामह हैं। उनके इस कथन में कोई अतिशयोक्ति नहीं है।
जीवन जीने की सही कला जानने एवं वैचारिक क्रान्ति और आध्यात्मिक उत्थान के लिए
वेद मर्मज्ञ आचार्य डॉ. संजय देव के ओजस्वी प्रवचन सुनकर लाभान्वित हों।
यजुर्वेद मन्त्र 1.1 की व्याख्या
Ved Katha Pravachan - 96 (Explanation of Vedas) वेद कथा - प्रवचन एवं व्याख्यान Ved Gyan Katha Divya Pravachan & Vedas explained (Introduction to the Vedas, Explanation of Vedas & Vaidik Mantras in Hindi) by Acharya Dr. Sanjay Dev
महर्षि दयानन्द के जीवन काल में देश अंग्रेजी की दासता में जकड़ा हुआ था। स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए समय-समय पर भारतीयों ने सशस्त्र संघर्ष किये, जिनमें 1857 ई. का स्वाधीनता संघर्ष सबसे बड़ा था। इसे अंग्रेजों ने निर्दयतापूर्वक दबा दिया था। 1857 ई. के स्वाधीनता आन्दोलन में स्वामी दयानन्द ने भाग लिया था या नही, इस पर पर्याप्त मतभेद है। पर यह निर्विवाद है कि 33 वर्षीय इस युवा साधु दयानन्द ने इसे अपनी आंखों से देखा था और इसका उनके भावी जीवन पर गहरा प्रभाव भी पड़ा था। 1857 ई. के स्वाधीनता संघर्ष की असफलता ने भारतीयों के मनोबल को बुरी तरह तोड़ दिया था। परिव्राजक के रूप में गंगा के तट पर भ्रमण करते हुए युवा दयानन्द ने एक महिला को अपने बच्चे के शव को नदी में चुपचाप छिपाकर बहाते हुए देखा। कफन को धोकर पुन: साड़ी के रूप में उसे पहनकर वह महिला विगलित नयनों में अश्रुकणों को संजोकर आगे बढी। पराधीनता से उत्पन्न निर्धनता का यह नग्नस्वरूप देखकर दयानन्द विचलित हो उठे। दयानन्द का मृत्युपर्यन्त का जीवन इस बात का साक्षी है कि उन्होंने इस दृश्य को कभी नहीं भुलाया। उन्होंने 1875 ई. में आर्यसमाज की स्थापना की। स्वामी दयानन्द और आर्यसमाज के बारे में श्री पट्टाभि सीतारम्मैया ने कांगे्रस के इतिहास में लिखा है:-"स्वामी दयानन्द सरस्वती द्वारा प्रवर्तित आर्यसमाज अतीव उग्र राष्ट्रीय आन्दोलन था। यह महान् आन्दोलन स्वामी जी की प्रेरणा से प्रादुर्भाव हुआ था और अपने देशभक्तिपूर्ण उत्साह में इसका स्वरूप आक्रमणात्मक था।"
स्वामी दयानन्द पहले भारतीय थे जिन्होंने अपनी पुस्तक सत्यार्थप्रकाश में प्रथम बार स्वदेशी और स्वराज्य शब्द का प्रयोग करते हुए लिखा था:- "कोई कितना ही करे परन्तु जो स्वदेशी राज्य होता है, वह सर्वोपरि उत्तम होता है अथवा मतमतान्तर के आग्रहरहित अपने और पराये का पक्षपातशून्य, प्रजा पर माता-पिता के समान कृपा, न्याय और दया के साथ विदेशियों का राज्य भी पूर्ण सुखदायी नहीं है।" कतिपय वेदमन्त्रों का अर्थ करते हुए महर्षि ने यह प्रार्थना भी की थी-"हे महाराजाधिराज परब्रह्म..... अन्य देशवासी राजा हमारे देश में कदापि न हो तथा हम लोग कभी पराधीन न हों।" एक दूसरे वेदमन्त्र का अर्थ करते हुए उन्होंने कहा है:- "मनुष्यों को चाहिए कि पुरूषार्थ करने से पराधीनता छुड़ा के स्वाधीनता निरन्तर स्वीकार करें।" महर्षि ने इन विचारों का प्रतिपादन तब किया था जब कांग्रेस पैदा भी नहीं हुई थी।
यूरोप में जो कार्य बेकन, दस्कार्ते, स्पिनोजा और वाल्तेयर ने किया वही कार्य भारत में महर्षि दयानन्द ने किया। महर्षि दयानन्द ने देश को जगाने का कार्य अद्भुुत रूप से किया। उनका कहना था कि भारतीयों को अंग्रेजों का अनुसरण करते हुए स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए। सत्यार्थप्रकाश में अंग्रेजों के स्वदेश-प्रेम की उन्होंने मार्मिक शब्दों में प्रशंसा की है।
लाहौर में आर्यसमाज ने सर्वप्रथम स्वदेशी वस्तुओं की दुकान खोली थी। 1879 ई. में एक प्रस्ताव पारित कर इसके सभी सदस्य स्वदेशी वस्तु का उपयोग करते थे। 1875 ई. में स्थापित पंजाब नेशनल बैंक के संस्थापकों में बहुसंख्यक आर्यसमाज के सदस्य थे। 1902 ई. में पंजाब नेशनल बैंक का पूर्ण स्वामित्व आर्यसमाजी सदस्यों के हाथों में चला गया था। स्वामी दयानन्द ने स्वदेशी का जिस रूप में प्रतिपादन किया था उसमें केवल स्वदेश में निर्मित वस्तुओं का प्रयोग ही अभिप्रेत नहीं था, अपितु स्वदेशी संस्कृति भी उसके अन्तर्गत थी।
अत: आर्यसमाज के एक वर्ग ने जहॉं गुरुकुल आन्दोलन के अन्तर्गत लड़कों और लड़कियों के लिए पृथक्-पृथक् गुरुकुल खोले, वहॉं दूसरे वर्ग ने डी.ए.वी. आन्दोलन के रूप में यत्र-तत्र-सर्वत्र शिक्षण संस्थाओं का जाल बिछा दिया। स्त्रीशिक्षा के लिए भी सर्वत्र बालिका विद्यालय खोले गये।
महात्मा गांधी की नेतृत्व में कांग्रेस शनै:-शनै: अहिंसात्मक रीति से देश को आजाद करानेवालों की संस्था के रूप में परिणत होती चली गई। यद्यपि आर्यसमाज संस्थागत रूप में प्रचलित सक्रिय राजनीति के पक्ष में नहीं है। फिर भी राजनीति में रुचि रखनेवाले आर्यसमाजी कांग्रेस में शामिल हो गये। कांग्रेस में ऐसे लोगों का बहुमत था। स्वामी श्रद्धानन्द, आर्य संन्यासी भवानीदयाल और पंजाब केसरी लाला लाजपतराय प्रभृति लोग आर्यसमाज के आन्दोलन से जुड़े हुए थे।
भारत के स्वाधीनता आन्दोलन में क्रान्तिकारियों के योगदान को विस्मृत करना घोर कृतघ्नता होगी। श्री श्याम जी कृष्ण वर्मा क्रान्तिकारी आन्दोलन के जनक थे। ये स्वामी दयानन्द के प्रिय शिष्य थे। यूरोप में इन्होंने होमरूल सोसायटी की स्थापना की थी। उक्त सोसायटी द्वारा उच्च शिक्षा प्राप्त भारतीयों को जो अंग्रेजों की नौकरी नहीं करने का वचन देते थे, उन्हें छात्रवृत्ति प्रदान की जाती थी। स्वातन्त्र्य वीर सावरकर और लाला हरदयाल ने उक्त छात्रवृत्ति प्राप्त कर क्रान्तिकारी आन्दोलन को नई दिशा प्रदान की। भाई परमानन्द और श्री बालमुकुन्द जी लाला हरदयाल के साथी थे। शहीद भगतसिंह स्वयं व उनके पिता सरदार किशनसिंह और उनके चाचा अजीतसिंह सभी आर्यसमाज से प्रभावित थे। मदनलाल ढींगरा, पं. रामप्रसाद बिस्मिल, राजा महेन्द्रप्रताप, पं. गेन्दालाल दीक्षित, मास्टर अमीरचन्द प्रभृति क्रान्तिकारी आर्यसमाज से जुड़े हुए थे। आजाद हिन्द फौज के जिन तीन सैनिक अधिकारियों पर मुकदमा चलाया था उनमें श्री सहगल जी आर्यसमाजी परिवार के थे। आर्यसमाज ने आजाद हिन्द फौज पर मुकदमा चलाने का भी विरोध किया था। लेखक-दयाराम पोद्दार
Arya Samaj Sanskar Kendra & Arya Samaj Marriage Service- Contact for intercast marriage & arrange marriage. Marriage by Arya Samaj is Legal and Valid under Hindu Marriage Act. 1954-1955 & Arya Marriage Validation Act. 1937. Also contact for all religious services- havan, grah-pravesh, vastu-poojan, namkaran-mundan vivah, pravachan, katha etc.
राष्ट्रीय प्रशासनिक मुख्यालय
अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट
आर्य समाज मन्दिर अन्नपूर्णा इन्दौर
नरेन्द्र तिवारी मार्ग
बैंक ऑफ़ इण्डिया के पास
दशहरा मैदान के सामने
अन्नपूर्णा, इंदौर (मध्य प्रदेश) 452009
दूरभाष : 0731-2489383, 9302101186
www.allindiaaryasamaj.com
-----------------------------------------
National Administrative Office
Akhil Bharat Arya Samaj Trust
Arya Samaj Mandir Annapurna Indore
Narendra Tiwari Marg
Near Bank of India
Opp. Dussehra Maidan
Annapurna, Indore (M.P.) 452009
Tel. : 0731-2489383, 9302101186
www.aryasamajannapurnaindore.com
There is a misconception among the common people that it is the Congress party that has given India independence from the British. The Congress was founded in 1885 AD by Mr. Alan Octavian Hume. The people involved in the Congress gathered every year as a boon and passed a resolution praising it for keeping it as a boon and only demanded a government job. Its main function was to send a government delegation in English costumes in the style of British speaking English only.
Arya Samaj and the Freedom Movement | Arya Samaj Indore | Arya Samaj Mandir Indore | Arya Samaj Mandir Marriage Indore | Arya Samaj Annapurna Indore | Arya Samaj Mandir Indore Madhya Pradesh | Aurangabad - Banswara - Baran | Lokmanya Bal Gangadhar Tilak | swaraj is my birthright | religious community in india | Mahatma Gandhi | satyarth prakash | Official Web Portal of Arya Samaj Mandir Indore | Maharshi Dayanand Saraswati | Vedas | Arya Samaj Marriage Helpline Indore India | Aryasamaj Mandir Helpline Indore | inter caste marriage Helpline Indore | inter caste marriage promotion for prevent of untouchability in Indore | inter caste marriage promotion for national unity by Arya Samaj indore Bharat | human rights in india | human rights to marriage in india | Arya Samaj Marriage Guidelines India | inter caste marriage consultants in indore | court marriage consultants in india | Arya Samaj Mandir marriage consultants in indore | arya samaj marriage certificate Indore | Procedure Of Arya Samaj Marriage in Indore India.
Arya samaj wedding rituals in indore | validity of arya samaj marriage Indore | Arya Samaj Marriage Ceremony Indore | Arya Samaj Wedding Ceremony | Documents required for Arya Samaj Marriage | Arya Samaj Legal marriage service Indore Bharat | inter caste marriage for prevent of untouchability in India | Arya Samaj Pandits Helpline Indore India | Arya Samaj Pandits for marriage Indore | Arya Samaj Temple in Indore India | Arya Samaj Pandits for Havan Indore | Pandits for Pooja Indore | Arya Samaj Pandits for vastu shanti havan | Vastu Correction Without Demolition Indore, Arya Samaj Pandits for Gayatri Havan Indore | Vedic Pandits Helpline Indore | Hindu Pandits Helpline Indore | Arya Samaj Hindu Temple Indore | Hindu Matrimony Indore | Arya Samaj Marriage New Delhi – Mumbai Maharashtra – Surat Gujarat - Indore – Bhopal – Jabalpur – Ujjain Madhya Pradesh – Bilaspur- Raipur Chhattisgarh – Jaipur Rajasthan Bharat | Marriage Legal Validity | Arya Marriage Validation Act 1937 | Court Marriage Act 1954 | Hindu Marriage Act 1955 | Marriage Legal Validity by Arya samaj.
Indore Aarya Samaj Mandir | Indore Arya Samaj Mandir address | Hindu Matrimony in Indore | Arya Samaj Intercast Marriage | Intercast Matrimony in Indore | Arya Samaj Wedding in Indore | Hindu Marriage in Indore | Arya Samaj Temple in Indore | Marriage in Indore | Arya Samaj Marriage Rules in Indore | Hindu Matrimony in Indore | Arya Samaj Marriage Ruels in Hindi | Ved Puran Gyan | Arya Samaj Details in Hindi | Ved Gyan DVD | Vedic Magazine in Hindi | Aryasamaj Indore MP | address and no. of Aarya Samaj Mandir in Indore | Aarya Samaj Satsang | Arya Samaj | Arya Samaj Mandir | Documents required for Arya Samaj marriage in Indore | Legal Arya Samaj Mandir Marriage procedure in Indore | Aryasamaj Helpline Indore Madhya Pradesh India | Official website of Arya Samaj Indore | Arya Samaj Bank Colony Indore Madhya Pradesh India | महर्षि दयानन्द सरस्वती | आर्य समाज मंदिर इंदौर मध्य प्रदेश भारत | वेद | वैदिक संस्कृति | धर्म | दर्शन | आर्य समाज मन्दिर इन्दौर | आर्य समाज विवाह इन्दौर
जनप्रतिनिधियों की असीमित सुविधाएं जहाँ गरीब देश की अधिकांश जनता को पौष्टिक भोजन नहीं मिलता, वहाँ जनप्रतिनिधियों के लिए इतने शानशौकत के महल और उसके साथ-साथ अनेक लग्जिरियस तामजाम अलग। इनकी यह व्यवस्था शहनशाहों व राजाओं से भी अधिक भड़कीली होती है। सुविधा इनकी, परन्तु नाम देश की प्रतिष्ठा का लिया जाता है। जिस प्रतिष्ठा का ये बहाना जिनके लिए दे...