इच्छारहित मृत्यु जन्म-मरण के चक्र से मुक्त कर देती है। इच्छा का समाप्त हो जाना ही मोक्ष है, बंधन से मुक्ति है। कृष्ण अर्जुन से गीता में कहते हैं - ''परम सिद्धि को प्राप्त हुए महात्मा जन मुझे पाने के बाद, दुःख का जहाँ घर हैं, ऐसे क्षणभंगुर जीवन को जीने के लिए फिर नहीं आते हैं; क्योंकि हे अर्जुन ! ब्रम्ह्लोक से लेकर सभी लोक पुनरावर्ती स्वभाव वाले हैं, परन्तु हे कुंतीपुत्र ! मुझसे मिल जाने के बाद उनका पुनर्जन्म नहीं होता है।'' इसमें गहरा तत्वज्ञान है। यह गहनतम तर्क है, अंतदृष्टि है।
Desireless death frees one from the cycle of birth and death. The cessation of desire is salvation, liberation from bondage. Krishna tells Arjuna in the Gita - "Mahatmas who have attained the ultimate perfection do not come again after attaining Me, to live such a fleeting life where the house of sorrow is; Because O Arjuna! From Brahmaloka to all the worlds are of recurring nature, but O son of Kunti! They are not reborn after meeting Me.” There is a deep philosophy in this. This is the deepest logic, insight.
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जनप्रतिनिधियों की असीमित सुविधाएं जहाँ गरीब देश की अधिकांश जनता को पौष्टिक भोजन नहीं मिलता, वहाँ जनप्रतिनिधियों के लिए इतने शानशौकत के महल और उसके साथ-साथ अनेक लग्जिरियस तामजाम अलग। इनकी यह व्यवस्था शहनशाहों व राजाओं से भी अधिक भड़कीली होती है। सुविधा इनकी, परन्तु नाम देश की प्रतिष्ठा का लिया जाता है। जिस प्रतिष्ठा का ये बहाना जिनके लिए दे...